जुर्म की जबानी
जुर्म की जबानी


जुर्म बड़ा ही खतरनाक है होता,
जुर्म करने वाला भी खतरनाक है होता,
सभ्य समाज के लिए जुर्म करने वाला कलंक है होता,
जुर्म को सहने वाला भी दोषी है होता,
जुर्म जब पहली बार किया है जाता,
जुर्म करने वाले का मन व मस्तिष्क
इस कार्य के लिए तैयार नहीं है होता,
पहली बार जुर्म करने के लिए
प्रत्येक व्यक्ति कई बार है सोचता,
लेकिन पहली बार जुर्म करने के बाद
वह जुर्म के लिए स्वयं को तैयार कर है लेता,
जुर्म करने का जब वह आदि हो है जाता,
तब वह जुर्म करने में आनंद लेने है लगता,
यदि प्रत्येक व्यक्ति जुर्म का डट कर विरोध है करता,
तब समाज में जुर्म करना दूभर हो है जाता,
आपको भी, हमे भी जुर्म का विरोध है करना,
जुर्म को सभ्य समाज से बाहर है करना,
जुर्म न केवल किसी एक बल्कि
प्रत्येक व्यक्ति के लिए खतरनाक है होता,
इसका विरोध प्रत्येक व्यक्ति को है करना,
जुर्म बड़ा ही खतरनाक हैं होता,
जुर्म करने वाला व्यक्ति भी खतरनाक है होता,