जो जल ना होता
जो जल ना होता
जल ही तो जीवन है, जीवन ही तो जल से है,
ये जग ही ना होता, जो जल ही ना होता,
जग सारा ही जल जाता, जो जल भला ना होता,
प्राणियों में जीवन का संचार कहाँ से होता,
सोचो-सोचो तुम जीवन कैसा होता,
जो जल ना होता...प्राणियों में
जीवन का संचार कहाँ से होता...
जो जल ना होता..
कोख में जीवन पलता कैसे,
दिल में धड़कन बसती कैसे,
रसना रस को जानती कैसे,
मुँह में पानी आता कैसे,
धमनियों में खून का दौरा होता कैसे,
रक्त की बूँद, भला बनती कैसे....
जो जल ना होताआआ
सोचो-सोचो तुम जीवन कैसा...
प्यासी धरती धान कहाँ से देती,
पेट में धान फिर पचता कैसे,
पचा हुआ फिर बाहर आता कैसे,
अरे दूध कहाँ से होता भैया,
चाय की चुस्की फिर लेते कैसे,
पीकर कदम फिर बहकते कैसे...
जो जल ना होता..
सोचो-सोचो तुम जीवन कैसा...
सूर्य देव को कैसे मनाते,
सीपी में मोती बनता कैसे,
घरों में बिजली होती कैसे,
किसी की "थू-थू" भला होती कैसे,
"सिर से ऊपर" पानी जाता कैसे,
"चुल्लू भर पानी" में भैया कोई डूबता कैसे..
जो जल ना होता...
सोचो-सोचो तुम जीवन कैसा
...
आँखों से अश्रु के जरिए दुख ना बहता,
नाकों से पानी के जरिए नज़ला ना बहता,
बाढ़ का ताँडव फिर कभी ना होता,
ऋषि-मुनि फिर श्राप कहाँ से देते,
"मछली जल की रानी" हम गाते कैसे,
अरे लगी आग को भैया, कैसे बुझाते...
जो जल ना होता...
सोचो सोचो तुम जीवन कैसा...
कन्यादान तुम कहाँ से करते,
पितरों का तर्पण फिर होता कैसे,
रंग-बिरंगी होली भैया खेलते कैसे,
पपीहा बेचारा प्यासा ही रहता,
स्वाति का जो जल ना होता,
अंतिम संस्कार भला होता कैसे,
मटकी में जो जल ना होता,
अरे पाप कहाँ पर जाकर धोते,
जो गंगाजल ना होता...
सोचो सोचो तुम जीवन कैसा होता...
जो जल ना होता....
कुओं में गर पानी ना होता!!
तालाबों में सूखा पड़ जाता !!
नदियाँ सारी सूख गयी हों !!
समुंदर सारे हवा हो गये हों!!
हिमालय गर गायब हो जाए!!
बादल बनना बंद हो जाएँ!!
धरती सारी फटी पड़ी हो!!!
नल से बूँद टपक ना रही हो!!!!
हरियाली सारी लोप हो गई हो!!!!
बारिश का मौसम फना हो गया हो!!!!!
तो-तो-तो-तो-तो....!!!!