जिस घर में प्यार ना हो
जिस घर में प्यार ना हो
वो घर कोई घर नही जिस घर में प्यार न हो
वो प्यार भी प्यार नही जिसमे तकरार न हो
बढानी हैं सीमाएं चाहे तुम जितनी भी बढ़ालो
हद हो हर बात की कभी हद के पार न हो
ढह जाएँ गर दीवार कोई जलजले से कहीं
मिलकर बनालें सभी किसी एक पे भार न हो
मुश्किलों भी में साथ रहे यही हो प्रण हमारा
हम जीए मरे शान से मन कभी बीमार न हो
रंग लाएगी मेहनत हमारी हर हाल में एकदिन
दुआ करो यही के कभी मौसम की मार न हो
लगा रहे घर घर में प्यार की दरबार सदा
आते जाते रहे लोग यहाँ बंद कभी द्वार न हो
देख सपना देख एक नही हजारों में देख
पर ऐसा न देख प्यारे जो कभी साकार न हो।