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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Children Stories

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Children Stories

जिस घर में प्यार ना हो

जिस घर में प्यार ना हो

1 min
202


वो घर कोई घर नही जिस घर में प्यार न हो

वो प्यार भी प्यार नही जिसमे तकरार न हो


बढानी हैं सीमाएं चाहे तुम जितनी भी बढ़ालो

हद हो हर बात की कभी हद के पार न हो


ढह जाएँ गर दीवार कोई जलजले से कहीं

मिलकर बनालें सभी किसी एक पे भार न हो


मुश्किलों भी में साथ रहे यही हो प्रण हमारा

हम जीए मरे शान से मन कभी बीमार न हो


रंग लाएगी मेहनत हमारी हर हाल में एकदिन

दुआ करो यही के कभी मौसम की मार न हो


लगा रहे घर घर में प्यार की दरबार सदा

आते जाते रहे लोग यहाँ बंद कभी द्वार न हो


देख सपना देख एक नही हजारों में देख

पर ऐसा न देख प्यारे जो कभी साकार न हो।


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