जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
1 min
50
जिंदगी के सफ़र में कहीं धूप मिली कहीं छाव।
चलते रहे फिर भी मगन संभल कर रखा पाँव।
छाले भी नसीब हुए, ज़ख्म दिल के अज़ीज़ हुए।
जीवन स्नेह ने ऊष्मा धूप सम जीवन में भरे ।