झूठी आश।
झूठी आश।
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मनहरण छंद।
झूठी आश।
ढूंढ रहे छांव मिले, कड़ी धूप का प्रहार,
लिए आश खुशी की तो, गमे दर्द दे गया।
खोज रहा रहबर, तो मिला सहरयार,
चाहा ज्योत मिले पर, तमस मिल गया।।
खिजां में फूल खिले तो, विदा हो गई बहार,
समझ जब आई तो, यौवन चला गया।
सोचा था जीभर जीयें, हौसले मान ली हार,
मौत छोड़ा है किसको, हसीं ख्वाब खो गया।।
रहबर = मार्गदर्शक।
सहरयार = दबंग या दबंग बादशाह।