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Swapna Sadhankar

Romance

3.8  

Swapna Sadhankar

Romance

इसरार

इसरार

1 min
560



सुन ले ना जरा

आवाज़ दिलों के टकराहट की

क्यों खोया है यारा

कश्मकश में फ़िज़ूल की

तूफ़ान से खेलने का भी

अपना इक मज़ा होता है

क्या पता कल साथ हो न हो

और फिर बारी आए न आए


अनदेखा ना कर

अनकही हालत दीवानगी की

क्यों सोचता हैं रहरहकर

दवा न कोई और इस मर्ज़ की

मौसम संग झूमने का भी

अजब सा सुरूर होता हैं

क्या पता फिर ये खिले न खिले

और हम तुम मिले न मिले


छाया जो रहता

इश्क़िया ख़ुमार हम पे

दिन का करार है चलता

फ़क़त तुम्हारे इशारों पे

ख़्वाबों पे भी हुकूमत

कब से तुम्हारी ही

अब तो फरमानी हुक्म

चलने लगा हमारी नींदों पे


फ़िज़ूल ना उलझ

सही गलत की ज़ंग पे

क्या कर लोगे हासिल

आख़िरकार चैन गवाने पे

दिल-महल के शहंशाह

सिर्फ और सिर्फ तुम ही

उठने न देना एक भी तलवार

हमारी मोहब्बत की सियासत पे.


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