इंतजार
इंतजार
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हर शाम मोड़ पर तेरा राह देखता
फिर भी तुझे फर्क नहीं पड़ता।
वो तेरा छिपकर पीछे से आना
अपने होने का अहसास दिलाना।
तुम्हारे मखमली गेसुओं का भाव,
वसंत की सर्द धूप में दुपट्टे का छांव।
वो लम्हें आज भी खास हैं
शायद तुम्हें मेरे आने का आस है,
टूटता तारा देख तुझे ही मांगा है,
फिर याद आया वो तो टूटा है
हर शाम तेरी याद में सोता हूँ
हर सुबह तेरी उम्मीद में उठता हूँ।