STORYMIRROR

Satish Chandra Pandey

Others

2  

Satish Chandra Pandey

Others

इन लम्हों को

इन लम्हों को

1 min
99

भोर हो रही है

धीरे-धीरे

सूरज की धमक बढ़ रही है,

थोड़ा किनारे हो जा

आज तो कुहरा

आज पूरी तरह चमकने दे उसे,

इन लम्हों को

जी लेने दे।

तू इकट्ठा कर आज

अपने सारे अंश कुहरे

कल घेर लेना पूरी शिद्दत से,

लेकिन आज उजाला होने दे।


Rate this content
Log in