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कुमार संदीप

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कुमार संदीप

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हर्षोल्लास का पर्व होली

हर्षोल्लास का पर्व होली

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होली है रंग बिरंगे रंगों का त्योहार

आओ भूलकर बीती बात ख़ुशी से

मनाएँ यह पुनीत पावन त्योहार

प्रेम का रंग घोलकर चलो हम मनाएँ

आनंद पूर्वक यह ख़ुशियों का त्योहार।।


ज़िंदगी का है क्या भरोसा न जाने

कौन-सा पल साँस सदा के लिए थम जाए

है जब तक साँस तन में भूलकर गिले

आओ रिश्तों में प्रेम का रंग घोलें

हाँ चलो हम ख़ुशियों का यह त्योहार ख़ुशी से मनाएं।।



होली है हर्षोल्लास का पर्व तो चलो

निराश और हताश होने की बजाय हम

हर्ष से रंगोत्सव का यह त्योहार मनाएँ

हैं जो निर्धन और बेसहारे चलो आज

हम इस दिन उन्हें भी कुछ ख़ुशियाँ अर्पित करें।।



चलो आज इस रंगोत्सव के पावन दिवस के दिन

हम माता-पिता की सेवा अंतिम साँस तक

करने का प्रण लें हाँ चलो आज हम प्रण लें

चाहे हो कोई भी मुश्किल हम साथ निभाएंगे सदा

निर्धन और बेसहारों का आज चलो हम

इस रंगोत्सव के पर्व के दिन यह शपथ लें।।




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