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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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हो कैसे उद्धार

हो कैसे उद्धार

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नशा मेंढकों को देकर जो,

करवाता है वार ।

घरका मालिक बन बैठा है,

घर का चौकीदार।।

कैसे हो उद्धार हमारा,

हो कैसे उद्धार।


संविधान सड़कों पर जलता ,

अमन चैन का सूरज ढलता ।

स्वतंत्रता, समताएं रोती ,

राजधर्म का प्राण निकलता।।

लोकतंत्र की हत्या निश्चित,

संकट दिखे अपार ।

कैसे हो उद्धार हमारा,

हो कैसे उद्धार।।


नशा धर्म का कभी पिलाता ,

कभी जाति का प्रश्न उठाता।

आरक्षण का पट्टा डाले,

कभी गले में,नाच नचाता।।

राष्ट्रवाद का छद्म रूप धर ,

जो घूमे संसार ।

कैसे हो उद्धार हमारा,

हो कैसे उद्धार।।


रग रग में नफरत का शासन,

देश बांटने का मैला मन ।

झूठा दोषारोपण करके,

करते हैं दहशत का नर्तन।। 

देशभक्त कब सहन करेंगे,

उठी हुई दीवार ।

कैसे हो उद्धार हमारा,

हो कैसे उद्धार।



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