हो कैसे उद्धार
हो कैसे उद्धार
नशा मेंढकों को देकर जो,
करवाता है वार ।
घरका मालिक बन बैठा है,
घर का चौकीदार।।
कैसे हो उद्धार हमारा,
हो कैसे उद्धार।
संविधान सड़कों पर जलता ,
अमन चैन का सूरज ढलता ।
स्वतंत्रता, समताएं रोती ,
राजधर्म का प्राण निकलता।।
लोकतंत्र की हत्या निश्चित,
संकट दिखे अपार ।
कैसे हो उद्धार हमारा,
हो कैसे उद्धार।।
नशा धर्म का कभी पिलाता ,
कभी जाति का प्रश्न उठाता।
आरक्षण का पट्टा डाले,
कभी गले में,नाच नचाता।।
राष्ट्रवाद का छद्म रूप धर ,
जो घूमे संसार ।
कैसे हो उद्धार हमारा,
हो कैसे उद्धार।।
रग रग में नफरत का शासन,
देश बांटने का मैला मन ।
झूठा दोषारोपण करके,
करते हैं दहशत का नर्तन।।
देशभक्त कब सहन करेंगे,
उठी हुई दीवार ।
कैसे हो उद्धार हमारा,
हो कैसे उद्धार।।
