हमारा घर आँगन
हमारा घर आँगन
हर सुबह शाम महकता है धूप दीप से घर आंगन
हर दिन खिलता है आँगन फूलो की हँसी खुशबू से
हँसी के किलकारी के साथ जहाँ गूंजती है पायल पांव मे
कहाँ मिलेगा ऐसा संसार दुनिया के किसी कोने मे
हमारी ज़िन्दगी के लिए धरती का स्वर्ग हमारा घर आँगन ही कहलाता है....!
ना जश्न होगा कोई ऐसा दुनिया मे
जो दिल को बेहद तक सुकून देंजाए हमारे
भूल जाते है जो हर गम ज़िन्दगी के कुछ पल मे ही
इतना राहत परिवार के मेले में है
इसीलिए हमारा घर ही धरती का स्वर्ग कहलाता है....!
नाम की हँसी कितना भी हँस ले हम
फिर भी कुछ खाली खाली सा रहता है
जो खुशी इस दिल को संतुष्ट कर जाए
वो तो सिर्फ अपनो के साथ बिताये कुछ खुशी के पल मे है
इसीलिए हमारा घर ही धरती का स्वर्ग कहलाता है....!
दुनिया मे हर एक रिश्ता दुबारा मिल जाते हैं
दिल के रिश्ते भी कयी टुकड़ो मे बट जाया करते हैं
जो दुनिया के तोड़े और ज़िन्दगी से बांटे नहीं बंटता है
वो जो ज़िन्दगी मे हमारे माता पिता के साया हमें मिलते हैं
इसीलिए हमारी ज़िन्दगी मे माता पिता ही ईश्वर कहलाते हैं...!
लाख परेशानी हो ज़िन्दगी मे फिर भी
जो सर पर प्यार भरा हाथ हो तो होठों से मुस्कुराते हैं
संगेमरमर सी तकिये पर जो चैन की नींद नहीं आती
वो सुकून भरी नींद माँ के ममता भरी गोद मे मिलती है
इसीलिए धरती का स्वर्ग हमारी माँ की गोद ही कहलाती है...!
सुबह से लेकर शाम तक जहाँ अपनेपन की बारिश हो
ज़िन्दगी मे सब कुछ नहीं पर थोड़ी ही ख्वाहिश पूरी हो
मिलकर रहते है हर कोई जहाँ एक ही छत के तले
छोटी छोटी खुशियों मे भी इस आँगन मे दिल झूम कर नाचता है
हमारी ज़िन्दगी के लिए धरती का स्वर्ग हमारा घर आँगन ही कहलाता है.....!!
