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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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हम मजदूर है-( 36 )

हम मजदूर है-( 36 )

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महामारी है इसीलिए, 

हजारों मील 

पैदल-पैदल चल रहे हैं, 

क्योंकि.....

हम मजदूर हैं

इसीलिए मजबूर हैं 

काश..........! 

चुनावी माहौल होता तो, 

बस की टिकटें फ्री होती 

साथ ही साथ में

नाश्ते की व्यवस्था होती, 

और ........! 

लंगर भी साथ साथ चलते,

पर 

सुनो ऐ सरकार !

राज्य की सरहदों पर 

हम भूखे प्यासे हैं, 

घरों को हम तरसते हैं, 

महामारी ने छीने हैं निवाले हमारे, 

चलते-चलते पांव में हैं छाले हमारे, 

अब समझ में आया है, 

वोट दिया जिसको हमने

आज उसी ने छला है हमें,

कसूर "पासपोर्ट" का था

हर्जाना " राशनकार्ड " को

भरना पड़ रहा था !!



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