ना मर्म का मेरे भान किसी को, लेकिन फिर भी जिंदा हूँ। ना मर्म का मेरे भान किसी को, लेकिन फिर भी जिंदा हूँ।
इतने परेशां क्यूँ हो यारा इश्क के आमद को लेकर। इतने परेशां क्यूँ हो यारा इश्क के आमद को लेकर।