"हां में तस्वीर देख जीता हूं"
"हां में तस्वीर देख जीता हूं"
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कुछ यूं ही उस तस्वीर को
देख कर जीता हूं,
हां में मेरे परिवार को
देखकर जीता हूं,
जब-जब याद सताती है,
तो तस्वीर देख कर खुश हो लेता हूं
वो मैं अपना बचपन यूं ही जी लेता हूं।
वो भी क्या दिन होते थे,
पूरा परिवार संग साथ होता था,
क्योंकि आज कल वाली
सेल्फी का जमाना नहीं होता था।
क्या अपनापन, स्नेह
प्रेम खूब झलकता था,
हर किसी का साथ
क्या खूब मिलता था
हर तस्वीर के रंग में,
देख-देख खूब हर्ष और
उल्लास का एहसास जीता हूं,
हां मेरे यार में उन तस्वीर के
पलों को क्या खूब जीता हूं।
