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Prabhawati Sandeep wadwale

Others

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Prabhawati Sandeep wadwale

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गुम हो गये थे सपने

गुम हो गये थे सपने

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बचपन मे सपना देखा था,,,

कवयित्री लेखिका बनूं ,,,

जबाबदारी की वजह से कहीं ,,

गुम हो गये थे ,,,

साथ मिल गया,,,

स्टोरी मिरर का,,,,

फिर से सपनो मे जान आ गई,,,

चिमुकले शब्द से,,,

कविता बनती है,,,

शुक्रगुजार हूँ मैं ,,,

स्टोरी मिरर,,,परिवार का

फिर से सपनो में जान आ गई,,,

सपनो को सही दिशा मिल गई ,,,

भटकते मन को संतुष्टी मिल गई,,,,

हमेशा स्टोरी मिरर,,,

फलता फूलता रहे,,,

हाथ मे लिया अपने बसा ,,,

चार शब्द की कविता,,, बनती गई,,,

मन मेे थे हजारो सवाल,,,

कागज पे उतरने लगे साई के रूप मे,,,

कर्ज हो गया हम पे,,,

पहचान मिली हमेे आपसे,,,

मन मे खुशी छा गई,,,,

कहीं सपने गुम हो गये थे,,,

स्टोरी मिरर ने सामने खड़ा कर दिया ,,,

खुशी मिल गई हमे,,,,

आपकी वजह से,,,,

चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान छा गई!



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