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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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गीत...मंजिल पे पहुंच न पायेगा

गीत...मंजिल पे पहुंच न पायेगा

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जिसको नोटों ने बांध लिया,

कैसे वो दौड़ लगाएगा।

वो लाख कोशिशें करे मगर ,

मंजिल पे पहुंच न पायेगा।।


लालच के खाली कुए में

जो कोई भी गिर जाता है।

वो देह सजाता जख्मों से,

नादान यहां कहलाता है।।

जो वक्त गंवा दें बेमतलब,

कैसे जीवन महकायेगा

वो लाख कोशिशें करे मगर,

मंजिल पे पहुँच न पायेगा।।


धन बिना कमाया पाता जो,

मेहनत वो नहीं किया करता।

गैरों पर दृष्टि जमाए वो,

परभक्षी बना जिया करता।।

उसकी जब सूखेगी बगिया,

जल कौन वहां पहुँचायेगा।

वो लाख को

शिशें करे मगर,

मंजिल पे पहुँच न पायेगा ।।


पैसा सुख तो दे सकता है ,

आनंद कहाँ से लायेगा ।

बलिदानो से मिलने वाला,

धन से न खरीदा जायेगा।।

एक देना है एक लेना है,

जो लेने को अपनायेगा ।

वो लाख कोशिशें करे मगर,

मंजिल पे पहुँच न पायेगा 


कुछ लोग दिखाकर चमक-दमक ,

लोगों को दास बनाते हैं।

बंदूकें उनके कंधों पर,

रखते हैं और चलाते हैं ।।

खुद जिसको गिरना हो "अनंत",

जग कैसे उसे उठायेगा ।

वो लाख कोशिशें करे मगर ,

मंजिल पे पहुँच न पायेगा ।। 


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