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Ashok Goyal

Others

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Ashok Goyal

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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तआरुफ़ क्या हुआ है आशिक़ी से।

नहीं है वास्ता दिल का किसी से।


नई दुनिया बसा लें पत्थरों की।

यकीं जाता रहा अब आदमी से।


निभाये कोई कब तक साथ यारों।

फ़क़त धोखे मिले हैं रौशनी से 


समन्दर को नहीं इल्ज़ाम कोई।

परेशां हूँ मैं अपनी तश्नगी से।


फ़क़त इक मौत की ख़्वाहिश है दिल में।

ग़रज़ कोई नहीं अब ज़िन्दगी से।


मैं ज़िन्दा लाश की मानिन्द यहाँ पर।

नहीं रिश्ता कोई मेरा मुझी से।


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