गैर
गैर
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जिसे हम कभी गैर से नहीं सुनते।
और तारीफ वह धोखा है।
जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते है।
जिसे हम कभी गैर से नहीं सुनते।
और तारीफ वह धोखा है।
जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते है।