एक तितली के गांव सी
एक तितली के गांव सी
मेरी
एक ऐसी दुनिया हो
एक तितली के
गांव सी,
एक बादल की
छांव सी ,
खुशियों का जहां
डेरा हो
गम का न जहां
पलभर का बसेरा हो ,
जहां सब अपनी लय में
गाते हों
किसी पर कोई बन्धन
न कोई पहरा हो ,
आसमान के सितारे
जमीन के फूलों से
हसीन नजारे ,
सब मिल जाते हों
एक अलग ही
रहस्यमयी
अलौकिक
सपनों सी सुंदर
दुनिया हो,
जहां हर कोई
एक मधुर राग अलापता हो ,
प्रेम से परिपूर्ण गीत गाता हो पर ,
एक जादू भरी
स्थिरता के साथ
माधुर्य के साथ
अनुपम सौन्दर्य की
विशालता के साथ।
