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Minal Aggarwal

Children Stories Comedy

4  

Minal Aggarwal

Children Stories Comedy

एक मूर्ख लड़का

एक मूर्ख लड़का

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कोई बात ऐसी नहीं 

जिसमें समझदारी झलके 

बचपन से लेकर 

आज तक 

हर बात में मूर्खता

बस मूर्खता 

मुंह के खुलते ही 

बहुत ही कम समय में 

एक अनुभवी यह समझ जायेगा कि 

यह लड़का मूर्ख है 

कोई छोटा मोटा मूर्ख नहीं 

अव्वल दर्जे का है 

हे ईश्वर 

किसी बदतमीज से मिलवा देना लेकिन 

किसी मूर्ख को कभी किसी 

समझदार के पल्ले तो कम से कम 

मत बांधना 

एक पहेली का हल कोई 

बताये

बिल्ली को बिल्ली और 

कुत्ते को कुत्ता क्यों कहते हैं 

जबकि दोनों की एक समान 

आंख है

नाक है 

कान है

मुंह है 

मुंह के अंदर जीभ है

पूंछ है 

बदन पर बाल है 

एक मूर्ख नहीं करना जानता 

दोनों के बीच फर्क

वह बस उलझा ही रहता है 

और बहस करता रहता है 

पर मानेगा नहीं 

आखिरकार मूर्खता के आगे 

उसकी आपको हारना ही पड़ेगा 

अपने घुटने टेकने पड़ेंगे 

अकबर बीरबल के किस्सों में 

एक बार अकबर बादशाह ने 

बीरबल से कहा कि 

शाम तक दरबार में 

मेरे सामने आगरा के 

दस महामूर्खों को लाओ 

बीरबल चौंके 

यह बादशाह सलामत की 

कैसी अटपटी फरमाइश है 

लेकिन हुक्म की तामील तो 

करनी थी 

शाम तक का समय 

कुछ कम प्रतीत हो रहा था 

लेकिन 

बीरबल अचंभित रह गये 

जब दरबार से निकलते ही उन्हें 

एक व्यक्ति बाग में कुछ खोजता

मिला 

बीरबल ने पूछा कि क्या खोज 

रहे हो 

उसने कहा कि अपनी अंगूठी 

जो झाड़ियों में गिर गई थी 

बीरबल बोले पर यहां तो कोई झाड़ी नहीं है 

वह तो तुम से काफी दूर है 

उसने कहा कि यहां इस कारण 

ढूंढ रहा हूं कि झाड़ी के पास 

अंधेरा है लेकिन यहां 

सूरज का उजाला है 

बीरबल मुस्कुराये 

मन ही मन सोचकर 

फूले न समाये कि

चलो पहला मूर्ख तो मिला 

यह काम शुरू में काफी कठिन 

और असंभव सा प्रतीत हो रहा था पर 

सफलता तो बड़ी तेजी से हाथ 

लग गई 

वह बोले कि तुम मेरे साथ 

आओ 

मैं तुम्हें सोने की अंगूठी दूंगा 

बहुत ही तेजी के साथ 

दोपहर तक ही

आठ मूर्ख जमा हो गये 

उनको लेकर बीरबल दरबार में 

हाजिर हुए

अकबर ने कहा कि बीरबल

मुझे अच्छी तरह से याद है कि 

मैंने दस कहे थे 

बीरबल हाजिर जवाब तो थे ही 

तपाक से बोले हुजूर पूरे दस हैं

बादशाह अकबर बोले वह कैसे

बीरबल बोले एक आप 

दूसरा मैं 

बादशाह इस जवाब से 

नाराज होने लगे

बीरबल ने सफाई दी कि 

एक आप ऐसे हुक्म फरमाने के लिए 

और दूसरा मैं ऐसे हुक्म की 

तामील करने के लिए 

यह किस्सा बताता है कि 

मूर्खों की कमी नहीं 

एक ढूंढो मिलेंगे हजारों

बचपन में रेडियो पर 

हम सुना करते थे एक प्रोग्राम 

जो शुरू होता था यह 

कहते हुए 

मूर्खाधिपति महाराज मंदबुद्धि सिंह 

दरबार में पधार रहे हैं 

मूर्खता की कहानियों का 

कोई अंत नहीं 

एक मूर्ख लड़का एक बार एक बिल्ली का 

बच्चा लेकर आया पालने के लिए 

उसे घर पर लाते ही उसकी सेवा में 

लग गया 

उसे शैंपू से सर्दियों में नहलाया 

उसके पंजों के नाखून काट दिये

कौन काटता है भला बिल्लियों के 

ऐसे नाखून

उसे गर्म कपड़े पहना दिये

उसे हीटर के आगे बिठा दिया 

नतीजा यह हुआ कि गर्म सर्द के 

कारण बिल्ली उसके जन्मदिन 

वाले दिन ही मर गई  

हल्की बारिश थी 

रात का समय 

सब दोस्त कर रहे थे 

घर पर उसका इंतजार और 

जब सब उसे ढूंढने निकले तो 

वह रोते हुए

मिट्टी खोदते हुए 

उस बिल्ली के बच्चे को दफना रहा था 

भावुक था पर नासमझ और मूर्ख 

एक बार और 

पलंग पर बैठा था 

सर्दी की रात थी तो 

हीटर ताप रहा था

बैठे बैठे ही टांगे लटकाकर 

हीटर की तरफ 

कहीं सो गया 

सुबह उठने पर घर वालों ने 

देखा कि 

हीटर के ताप से 

उसकी टांग की त्वचा 

एक बड़े गुब्बारे सी फूल 

गई थी 

एक दफा और 

स्कूटर से अकेले गया 

ड्राई क्लीनर्स के 

ड्राई क्लीन किए हुए गर्म कपड़े लेने 

बहुत सारे बड़े लिफाफों में 

थे वह 

घर तक आया तो 

एक भी लिफाफा नहीं 

रास्ते में 

एक एक करके 

सारे गिरा आया 

घरवाले भागे 

उल्टे पांव उसी रास्ते पर 

एक भी लिफाफा नहीं 

मिल पाया 

इतना बड़ा नुकसान कराया कि

वह गर्म कपड़े कोट, पैंट आदि

दोबारा जिंदगी में 

आसानी से बन ही नहीं 

पाये

किस्सों का कोई अंत

नहीं 

मूर्खों की तरह 

यह भी है बहुतायत में।


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