एक खयाल
एक खयाल
कुछ बातें जो भुलाने पर भी
हृदय में अपनी छाप छोड़ जाती हैं
तोड़ डालो चाहे नाते उन वजहों से
लेकिन वो दिल मे लगे दाग
एकांत में धुंआ बन उठते हैं
हम जेहन को सम्हालते हैं
लेकिन दिल के कुछ टुकड़े हैं
जो अब भी टूटकर धड़कते हैं
हर दिन उम्मीदों की कश्ती में सवार
हम तलाश सुकूं की करने निकल पड़ते हैं
लेकिन नाव किसी मुसाफिर के
जज्बातो में बह चलते चलते
फिर अटक जाती है
बहना हमने छोड़ा नहीं है
रुख अपना जिन्दगी से मोड़ा नही है
लाखो सवार हुए इस कश्ती में
डूबकर कर भी
तैरना सिख लिया
रंग हजार हैं जिन्दगी के
हर दरवाजे पर खड़ी एक चुनोती है
अब गमो से दोस्ती और
खुशियो से पहचान
इतना ही रखा है हमने हर जज्बात मापI
दरिया जिन्दगी का सूखे नही
खुदा मेरे में तुझ से और खुद से
रूठूँ नही इसलिए
आज कविता ने हर एक
मय को जीवन रस समझ
पीना सीख लिया है।
