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Praveen Gola

Others

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Praveen Gola

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दस ,नौ ,आठ

दस ,नौ ,आठ

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एक और रोने की आवाज़ ,

दिल दहलाने लगी थी अब ,

मासूमों के साथ होते गुनाहें,

डराने लगी थी अब।


वो नन्हा सिसक रहा था ,

किसी ने उसकी अस्मत को भी था भेदा ,

क्या फर्क रहा लड़के और लड़की में अब ,

जब दोनो के ही घावों को था ऐसे कुरेदा।


नहीं पता थी उन्हे ये बात ,

कि ऐसी घड़ी में किसका पकड़े वो साथ ,

किससे कहें वो अपने भावों की हलचल ?

कौन बनेगी उनकी अपनी सखी ?


फिर एक दिन एक एन जी ओ ने उन्हे दिया सम्मान ,

और मदद के लिए उन्हे नंबर का दिया ये नाम ,

मुसीबत की घड़ी में मिलाना ये नंबर आसान ,

दस ,नौ ,आठ आता है ज़िसमे श्रीमान।



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