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Abhishek Singh

Others

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दर्द का ऐंटिडोट !

दर्द का ऐंटिडोट !

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तेरे दर्द का कोई ऐंटिडोज ही नहीं,

इस दुनिया में,

बस सहते जाओ-सहते जाओ,

जो ना सह सके तो

बिखरते जाओ-बिखरते जाओ,

जो सम्भल गए तो,

मुस्कुरा के दर्द बाँटते जाओ-बाँटते जाओ,

क्या पता दर्द ऐ मंज़र कहीं छँट जाए।


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