Abhishek Singh
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तेरे दर्द का कोई ऐंटिडोज ही नहीं,
इस दुनिया में,
बस सहते जाओ-सहते जाओ,
जो ना सह सके तो
बिखरते जाओ-बिखरते जाओ,
जो सम्भल गए तो,
मुस्कुरा के दर्द बाँटते जाओ-बाँटते जाओ,
क्या पता दर्द ऐ मंज़र कहीं छँट जाए।
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