दर्द-ऐ-दिल
दर्द-ऐ-दिल
कुछ इस तरह दर्द-ऐ-दिल ज़ुबान पर आया नहीं,
कि उन्होंने पूछा नहीं और मैंने बताया नहीं।
क्यों ये सवाल ने दस्तक नहीं दी उनकी सोच पर,
कि मैं क्यों आज एक बार भी मुस्कुराया नहीं।
शायद उन्होंने देखकर भी अनदेखा कर दिया,
क्योंकि मैं आजतक कभी इतना घबराया नहीं।
हमने मौका नहीं दिया उन्हें रूठने का कभी,
और मेरे एक बार रूठने पर उन्होंने मनाया नहीं।
बस कहते रहे कि मुझे इश्क़ करना नहीं आता,
और करते कैसे हैं, वो कभी समझाया नहीं।
जज़बातों के जाल बिछाकर सभी राज़ जान लिए,
उनके अपने दिल में क्या है कभी बताया नहीं।
वो क्या जाने वफ़ा और बेवफ़ा का फ़र्क अशीश,
जिस शख़्स ने प्यार में कभी धोखा खाया नहीं।