दोस्ती
दोस्ती


गुज़रा ज़माना याद गया।
आंखो में पानी छलका गया।
बचपन की दोस्ती क्या दोस्ती थी यारों।
बड़ी याद आती है वो दोस्ती हमारी।
कट्टी अब्ब्बा की वो दोस्ती हमारी।
बिना स्वार्थ की वो बातें निराली।
एक रुपए की वो शर्तें मामूली।
माँ बाबा के वो फोन आजने।
ना होते वहां तो बता देते यहीं है वो।
क्या बीता ज़माना था बिना स्वार्थ
का गुज़रा ज़माना था।
वो मिट्टी का घर वो कागज़ की कश्ती ।
वो बारिश में नहाना वो पानी उड़ाना।
बिना मतलब के मुँह भी चिढ़ाना।
बहुत याद आता है वो बीता ज़माना।
आंखो में पानी छलका गया।
आज मेरे दोस्त है वो रिश्ते निराले ,
क वो संपने सुहाने।
बिना मतलब के ये रिश्ते निरालेे।
कभी ना खत्म हो ये सुहाने सफर हमारे।
यादें पिरोले सब मोती की तरह।
बिना किसी शर्त के ये रिश्ते सँजोले।
प्यार के बंधन से एक ऐसे रिश्ता पिरोले
कभी ना ख़त्म हो ये रिश्ता
संजोले।
ये रास्ते ये मौसम ये उलझन
ये फरमाइशें ये जिद्दे
ये लाढ़पन, ये हक ज़माना
ये हाथों में हाथ डलाना
ये काम भी खींचना
ये एक दूसरे को सहारा देना
ये बिना बोले भी समझ जाना।
ये एहसासों के रिश्ते
ये जज़्बातों के रिश्ते
ये खामोशियों के रिश्ते
ये दिल के रिश्ते
ये प्यारे रिश्ते
ये निराली रिश्ते
ये अनजाने रिश्ते
कुछ नए रिश्ते कुछ पुराने रिश्ते
कुछ अनसुने रिश्ते,कुछ अनकहे रिश्ते,
बस पिरो ले अपनी मन में
कुछ ए टूट रिश्ते संजो ले, संजो ले,
दिलों की इस बगिया में कुछ फूल बिखेर दें।।
सब रिश्तों एक नया हीयाते देते है।
इन रिश्तों को एक नई जगह देते है
#Sheros# इनको देते है ।
जज़्बातों का आलम कुछ इस तरह पिरोया।
दोस्ती दोस्ती रही दिलो में सबके ।
ना कोई रोया ना रोने दिया।
बस खुशी की लहर ने दिलों को पिरोया।।