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Smita Saksena

Others

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Smita Saksena

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दोस्ती के धागे

दोस्ती के धागे

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मेरे दुख-दर्द का नहीं था यकीं जब किसी को जरा भी नहीं,

तब तुम ही थीं जिसने बाँटे दर्द और किया कहीं चर्चा भी नहीं।


तन्हाई जो थी मन में पल रही,दूर तुमसे मिलके हो जाती है,

दोस्त हो तेरे जैसा एक भी,बस पूरी महफिल सी सज जाती है।


सुकून था तो बहुत जमाने मे,लगता यूँ था हमको न मिला है,

जुड़े जबसे तुझसे ये दोस्ती के धागे,अब न जैसे कोई गिला है।


खामोशी में मेरी शोर और सन्नाटा दोनों ही सुन लेती हो तुम,

कहूँ न कहूँ ,कैसे सुन लेती हो तुम,क्या आँखें पढ़ लेती हो तुम।


यादें नहीं सताती तेरी कभी कि दिल से कभी तू जाती नहीं,

रिश्ता हमारा है दिल का, जरूरत से दोस्ती निभाई जाती नहीं।




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