डाॅ. बिपिन पाण्डेय
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यदि सेहत,उपलब्धि की,चाहत है भरपूर।
तो फिर स्वाद, विवाद से ,रहना होगा दूर।।
किसे ज़रूरतमंद की ,पीड़ा का अहसास।
छोड़ मरुस्थल को गई,नदिया सागर पास।।
नहीं उभरता वह कभी,बन करके अभिराम।
जिस समाज में दीप को ,सूरज करे सलाम।।
बाल कुंडलिया
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