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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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दो जून की रोटी

दो जून की रोटी

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कोई सूट-बूट से तो

कोई मैले-कुचले कपड़ों में ही,

घर से निकल पड़े है सब

दो जून की रोटी के लिए वह,

दो जून की रोटी कमाने का

सबका है आपना-अपना तरीका ,

कोई दिन-रात मेहनत करता है

तो कोई-कोई अपराध करता है,

पर.....,

दोनों ही दो जून की रोटी का जुगाड़ ही करता है,

क्योंकि........?

अपने और अपने परिवार के पापी पेट का सवाल है,

तभी तो चारों तरफ यहीं बवाल है,

दो जून की रोटी के लिए ही भाग रही है ये दुनिया दिन-रात,

नमन है ईश्वर को 

जो सबको देता है अपने -अपने भाग्य की दो जून की रोटी,

मिल रही है यहां सबको दो जून की रोटी !!

     


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