दिल तो बच्चा है
दिल तो बच्चा है
जब तक दिल बच्चा है
समझो तब तक अच्छा है
नहीं तो ये दे जाता "हरि"
अच्छों अच्छों को गच्चा है
जिस तरह एक बच्चा मासूम होता है
एक बच्चे में भगवान का वास होता है
मासूम दिल में प्यार का खजाना होता है
हर कोई मासूमियत का दीवाना होता है
मगर हुस्न वाले मासूम कहाँ होते हैं
बड़े शातिर और बड़े जालिम होते हैं
नैनों से कस कस कर वार करते हैं
तिरछी मुस्कान से घातक प्रहार करते हैं
कभी जुल्फों के फंदे में फंसाते हैं
कभी झील सी आंखों में डुबाते हैं
कभी नागिन सी चाल से डसते हैं
कभी रिमझिम सावन सा बरसते हैं
इनके दिल को कोई जान नहीं पाया
इनका भेद कोई भी पहचान नहीं पाया
कोई कहता है कि इनके दिल नहीं होता है
तो कोई कहता है कि पत्थर का होता है
इस दिल पर आशिक मरते हैं
हुस्न के मारे दिन रात कलपते हैं
परवानों की तरह हरदम जलते हैं
दीवानों की तरह आहें भरते हैं
काश हसीनों का दिल भी बच्चा होता
सोने सा खालिस हीरे सा सच्चा होता
फिर मुहब्बत में ना बेवफाई होती
और प्यार का बंधन ना कच्चा होता।