धरती का स्वर्ग !
धरती का स्वर्ग !
सनम ,,,,,,,,,,
यूं तो हम बहुत घूमे
सैर कराई तुमने
जगह-जगह की,
महसूसी हमने ,,,,,,
हिमाचल की वो -
शर्मीली-बर्फीली घाटियां
मेघालय की बात निराली।
देखा ,,,,,,
आगरे का ताजमहल
दिल्ली का लालकिला,
अमृतसर का पवित्र
वो सोने का मंदिर
मोह लिया पंजाब की
पंजाबियत ने
अहा क्या बात है।
राजस्थान के रजवाड़ों की
झूमते हैं गरबे गुजरात के,
मनभाया मैसूरगार्डन भी
जब हैदराबाद चले,
आंखें चार हुई हुसैन सागर से
मिले म्यूजियम से,
सिकंदराबाद को भी
गले लगाया हमने,
हक्का-बक्का कर दिया
महानगरी मुम्बई ने,
प्यार से मगर ,,,,,
नहलाया अरबसागर ने
फिर भी है बचपन से
मेरी दिली तमन्ना
कश्मीर देखने की
जो स्वर्ग है धरती का !