देशभक्त
देशभक्त
जब बिगुल बजे शैतान से युद्ध का
तो निश्चय यही प्रमाण हो
चाप धरें हम देशभक्त बन
समरसता की बाण हो।
सर्वधर्म समभाव को लेकर
प्रेम के पथ पर बढ़े चलो
जाति धर्म का मोह त्याग
बस इंसानियत को गढ़े चलो।
ऐसी चाल में चलना है कि
अपनी अलग पहचान बने
बापू के सोने की चिड़िया
भारत देश महान बने।
हम द्वंद्व छेड़ते बात बात पर
हम लड़ते रहते धर्म जात पर
आखिर क्या हमको हासिल होगा
मानवता पर यूं आघात कर।
किसी अनहोनी की आशंका
जन जन के मन में व्याप्त है
देशभक्ति बलिदान की भाषा
मन के पुस्तक से समाप्त है।
इन चीजों को मन के
पुस्तक में फिर से छापेंगे
जाति,धर्म, समुदाय छोड़कर
मानवता का राग अलापेंगे।
कसम देश की भक्ति का
हम सब इसी क्षण लेते हैं
सब धर्मों का कद्र करेंगे
प्रण इसी क्षण लेते हैं।
