देश के वीर
देश के वीर
ना रुकेंगे ,ना झुकेंगे
अपने देश के वीर
एक वार में ही काटेंगे
खड़े दुश्मन के सिर।
तूफानों से लड़कर आते ,
पत्थर के प्रहार भी सहते
नमन भारत के लाल को
जो वारे देश पर शरीर।
आत तायी दुश्मन अपने
बाज न आते करतूतों से,
हर दिन बढ़ेंगे कितना
काटे जाते कुकुरमुत्तों से।
रुक ठहर जा नामकूल
न मिलेगी आजादी।
अब तो बस शुरुआत है
होगी अब तेरी बर्बादी।
तू भारत के टुकड़े करोगे
न कूबत तुममे न हिम्मत,
रुक जा अब भी रे मूरख न तो
उठ जायेगी तेरी मय्यत।
जब जब हिंदुस्तान को
दुश्मन ने ललकारा है
चारों खाने चित हुआ हमने
जो उनको मारा है।
तू हमको आँख दिखाये
ये तेरी नहीं औकात
बेमुरव्वत पाकिस्तान
कितनी खाओगे मात।
