देश हो खुशहाल
देश हो खुशहाल
'समृद्ध- भारत' चाह मेरी
मंजिलें व राह मेरी,
फँस तिमिर के पाश में
न हो कभी बेहाल।
देश हो खुशहाल।
व्याधि, पीड़ा अब न जकड़े
सठ कुपोषण आ न पकड़े,
हो न किल्लत औषधि की
मिले रोटी - दाल।
देश हो खुशहाल।
नित्य बेकारी घटे भी
दीनता पथ से हटे भी,
चाँद – तारों पर कदम हो
कटे कंटक - जाल।
देश हो खुशहाल।
हो नहीं पथ में अँधेरा
झूमता आये सवेरा,
रात्रि के पट पर दिवाकर
विभा जाए डाल।
देश हो खुशहाल।
नृत्य करता मन - मयूरा
स्वप्न हो हर एक पूरा,
दिन-महीने शान्ति-सुख दें
विभव दे हर साल।
देश हो खुशहाल।
शक्तियों के सबल रथ पर
बढ़ें सब निर्विघ्न पथ पर,
भव्य, दृढ़, सौभाग्यशाली
हो सभी का भाल।
देश हो खुशहाल।
