गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है! गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है!
कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना ! कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना !