तुम से सच में प्यार किया है मैंने मैं सच हूँ ! तुम से सच में प्यार किया है मैंने मैं सच हूँ !
मैं टूटती थी हज़ारों टुकड़ों में हर रात, हर सुबह खुद को वापिस समेटती थी! मैं टूटती थी हज़ारों टुकड़ों में हर रात, हर सुबह खुद को वापिस समेटती थी!