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Shambhu Amlvasi

Others

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Shambhu Amlvasi

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चलवा दो गोलियां

चलवा दो गोलियां

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भारती संस्कृति का हुआ है बुरा हाल,

नारी की इज्जत का कोई नहीं है खेवनहार।

 

उन औरतों और नारियों, का क्या है कसूर,

जो होटलों में घुंघरू, पहन कर हैं नाचती।

 

खेलते हैं जो लोग उनकी इज्ज़तों से होलियां,

लूटते हैं सरेशाम दुल्हनों की डोलियां।

 

देते हैं ऐसे गोरखधंधे को जो अंजाम,

ऐसे कमीने लोगों पर चलवा दो गोलियां।

 

आदमी ही आदमी का बन गया काल,

एक दूसरे को बेचने का बन गया दलाल।

 

सीता हरण तो रोज होते हैं साथियों,

पर आज का मानव बड़ा हो गया विकराल।।

 

 


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