चल रही है ज़िन्दगी
चल रही है ज़िन्दगी
डर के साए तले पल रही है जिंदगी
ग़म के अंधियारे तले हाथ मल रही है जिंदगी
बेबसी की आग में यूं जल रही है जिंदगी।
आशा का बुझता चिराग हाथों में लिए
खड़ी कशमकश के रास्ते पर
जख्मों की पीड़ा का एहसास लिए
जैसी ढलती है शाम यूं ढल रही है जिंदगी
गहराते अंधकार में …
खौफ से पसीने से या आंसूओं से
तरबतर कापंती रोती हुई
रात की तरह बेबस चल रही है जिंदगी ।।
सुबह की तमन्ना लिए गहरे दर्द से द्रवित
पीड़ित जख्मों से गिरते लहू का दर्द
फांस की तरह जो निकलता भी नहीं
उसी दर्द को अनुभूति में सल रही है जिंदगी।।
डर के साए तले पल रही है जिंदगी
ग़म के अंधियारे तले हाथ मल रही है जिंदगी
बेबसी की आग में यूं चल रही है जिंदगी।
हर बीते हुए खौफनाक पल को
भूलने का प्रयास करती हुई
वर्तमान में भोग रही भविष्य के प्रति आशंकित
निर्दिवित घिसट घिसट ...
कर चल रही है जिंदगी
डर के साए तले पल रही है जिंदगी।। "