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चल ढूँढें रोशनी अँधेरी रात में

चल ढूँढें रोशनी अँधेरी रात में

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चलते हैं हम, चलती मंजिलें साथ में

चलते हैं हम, चलती मंजिलें साथ में 
चल ढूँढें रोशनी, अँधेरी रात में 
ख़्वाबों को, तू देदे रागिनी 
मेहनत की मद्धम, बजने दे बांसुरी
सारा जहाँ क़दमों में आ गिरेगा 
तू बस लेकर चल हौंसले साथ में 
चलते हैं हम, चलती मंजिलें साथ में ...

उम्मीदों की उड़ान ऊँची बहुत है 
अरमानों की होती बारिश बहुत है 
भीगने की चाहत भी सबकी होती है 
फिर क्यूँ भीगने से घबराहट होती है ? 
अपनी हसरतों को मसोस लेते हैं दिल में 
डुबा देते हैं ख़ुद को, ग़म की महफ़िल में 
पहुँचते नहीं जब हम अपनी मंज़िल पे 
चलते हैं हम चलती मंज़िलें साथ में

 यह हॉस्ला, जो तेरे संग है 
तेरी हसीं, वही तेरी उमंग है  
राहें, मंज़िल तक पहुँचा ही देंगी 
पर चलना उनपे फ़र्ज़ तेरा ही होगा 
कोई साथ, रहे न रहे 
अकेले हमें आगे बढ़ना ही होगा 
तेरे लिए सपने देखे हैं तेरे अपनों ने 
तुझे उन सपनों, संग जुड़ना ही होगा 
तेरी झलक होगी उनकी हसीं में 
तुझे वो ख़ुशी बनना ही होगा 
बढ़ चल जीत के यह भरोसे साथ में 
चलते हैं हम चलती मंजिलें साथ में


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