छयी छपाक छयी छयी छपाक
छयी छपाक छयी छयी छपाक
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मन चंचल, खेलें हैं जल थल,
उठ रही बाल हृदय हिलोर।
ऊर्जावान बचपन अति नटखट,
खेलें शाम दुपहरी और भोर।
बहते जल से बालक निश्छल,
नाही बाँध बाँधे, नहीं डोर।
खिल खिलाता हुड़दंग सुनो ,
हर पल गूँज रहा चहुंओर।
छयी छपाक छयी छयी छपाक,
करे नदिया का हर छोर।
