चहकती चिड़ियाँ
चहकती चिड़ियाँ
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कहने को सब हैं मेरे पास
पर कोई अपना नहीं
यूं तो पूरा दिन चहकती
रहती हूँ घर के आँगन में
पर रात के अंधेरों में
भीगी पलकें हो जाने पर
कोई आँसू पोंछ ने वाला नहीं
चहकती चिड़ियाँ ना जाने
कब से कैद अपने ही पिंजरे में है
कहने को सब हैं उसके पास
बस उड़ने के लिए खुला आसमान ही नहीं