STORYMIRROR

Praveen Gola

Others

4  

Praveen Gola

Others

छाई फाल्गुन की बहार

छाई फाल्गुन की बहार

1 min
379

छाई फाल्गुन की बहार ,

पड़ी होली की फुहार ,

रंगे रँगों में रंगीले ,

निकले सड़कों पे छैल - छबीले ,

भर - भर मारे पिचकारी ,

भीगी बालायें सारी ,

मुख से देतीं जब वो गाली ,

हिलती कानों में तब बाली ,

दिल ले जातीं अपना वो यार ,

छाई फाल्गुन की बहार ।


छाई फाल्गुन की बहार ,

पूरे साल किया इंतजार ,

लगते फाल्गुन में जब मेले ,

मिलते चोरी - चोरी तब अकेले ,

देते उनको शगुन की साड़ी ,

पहन वो लगती मतवाली  ,

झूला झूलें संग - संग दोनो ,

हाथों में हाथ डाले दोनो , 

उनसे हो जाता तब प्यार ,

छाई फाल्गुन की बहार ।


छाई फाल्गुन की बहार ,

थक गए करते - करते इंतजार ,

इस फाल्गुन में चढ़ा बारात ,

ले आये उनको संग में साथ ,

कितने फाल्गुन से थी वो प्यासी ,

इस फाल्गुन में बनी अब दासी ,

मारी पिचकारी फैंका गुलाल ,

हुए शरम से गाल लाल ,

अब दो से होंगे चार ,

छाई फाल्गुन की बहार ।।



Rate this content
Log in