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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Children Stories

5.0  

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Children Stories

"बुढ़ापे की सनक"

"बुढ़ापे की सनक"

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बिलासपुर जिले के नगहरा गाँव के रहने वाले तेजप्रताप सिंह जी अपने विद्यार्थी जीवन से ही पढ़ने लिखने में बहुत अच्छे तो नहीं रहे पर खेल कूद में आगे रहते।अपने कॉलेज टीम के हॉकी के कैप्टेन भी रहे।अच्छी कदकाठी के होने के कारण पुलिस महकमे में भर्ती होकर कोतवाल हो गए।बहुत ही तेजतर्रार व अनुशासन प्रिय माने जाने वाले तेजप्रताप जी ईमानदार भी बहुत रहे।जिसका नतीजा यह हुआ कि जल्द जल्द उनका तबादला होता रहा।

पुलिस विभाग में वैसे भी बहुत ईमानदार होना ठीक नही होता।कुछ दिनों के बाद तेजप्रताप जी पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में भेज दिए गए।वही से रिटायर हो गए।पर जहाँ भी रहे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास किया।जिसके कारण बड़ा बेटा अभिनव इंजीनियर हो कर विदेश में बस गया।दूसरा बेटा अनुराग मल्टीनेशनल कंपनी में बंगलौर में मैनेजर।दूसरे बेटे अनुराग की पत्नी ज्योति भी बंगलौर में ही किसी कंपनी में नौकरी कर रही थी।एक बेटी थी जिसकी शादी तेजप्रताप जी ने कर दिया था।

चूंकि तेज जी को गाँव पसंद था सो रिटायर होने के बाद पत्नी के साथ गाँव में रहने लगे और शहर का मकान किराए पर दे दिया था।एक बेटा विदेश दूसरा बंगलौर में रह रहे थे।बड़े बेटे व छोटे बेटे ने तेजप्रताप जी से अपने पास रहने के लिए बहुत कहा। उनकी पत्नी सरोज ने भी कई बार कहा कि बड़े बेटे के पास न सही ,चूंकि वह विदेश में हैं पर छोटे बेटे के पास चल कर रहा जाय।अब आपको करना ही क्या है।दोनों बेटे सेट हो गए हैं।बेटी की शादी हो गई है।पर तेज प्रताप जी कुछ करना चाहते थे।फिर भी पत्नी व बेटे के कहने पर बंगलौर रहने के लिए चले गए।

वहाँ पर कुछ दिन तो ठीक ठाक रहा।पर बेटे और उसकी पत्नी का सुबह देर तक सोना, रात में देर से घर आना तेजप्रताप जी को बुरा लगने लगा।इस पर उन्होंने बेटे से कहा कि वह गाँव जा रहे हैं वहाँ कुछ करेंगे।उस समय तो अनुराग कुछ नही बोला पर बाद में अपनी माँ से कहा कि माँ पापा को बुढ़ापे में क्या सनक सवार हो गई है गाँव में जा कर क्या करेंगे,अब रिटायरमेन्टके बाद क्या कर पाएंगे।यह बात उनकी पत्नी सरोज ने भी समझाया "अब आप बूढ़े हो गए हैं, यहाँ आराम से रहिए" पर तेजप्रताप जी निश्चय कर चुके थे कि उन्हें क्या करना है।

कुछ दिन के बाद तेजप्रताप जी गाँव वापस लौट कर इलाके के नौजवानों को एकत्र कर सुबह शाम पुलिस व सेना के लिए दौड़ कूद व अन्य ट्रेनिंग देने लगे।चूंकि तेजप्रताप जी पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग दे चुके थे और वह ख़ुद भी अच्छे खिलाड़ी रहे थे इसलिए उन्हें मालूम था कि किस प्रकार पुलिस व सेना के लिए ट्रेनिंग देना है और उसी तरीके से कड़े अनुशासन में ट्रेनिंग शुरू कर दिया।पहली बार चार लड़कों का सेलेक्शन पुलिस व सेना में हुआ और तब से हर साल दर्जनों इलाके के लड़के सेना व पुलिस विभाग में सेलेक्ट हो चुके थे और यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही थी।समाचार पत्रों में तेजप्रताप जी के कार्य की सराहना होने लगी।और यह कार्य तेजप्रताप जी बिना किसी लड़के से कुछ लिए कर रहे थे।पांच ही वर्ष में उनकी ख्याति बहुत बढ़ गई।इस कार्य के लिए राजधानी बुलाकर राज्यपाल तेजप्रताप जी को मेडल व प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।उनके छोटे बेटे ने जब यह सुना वह गाँव आकर पापा से माफ़ी मांगने लगा रोकर कहा मैंने बहुत गलत कहा था कि आपको बुढ़ापे में क्या सनक सवार हो गई।आप के इस बुढ़ापे की सनक ने तो कितने बेरोजगारों को नौकरी दिलाई है। आपने तो वो कर दिखाया जो बहुत हिम्मत भी नही कर सकते है। मुझे आप पर गर्व है।आप के बुढ़ापे के सनक पर उससे भी अधिक गर्व हो रहा है।



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