बसंत ऋतु की फुलझड़ी
बसंत ऋतु की फुलझड़ी
पीले पकवानों की लगी झड़ी ,
जब बसंत ऋतु की जली फुलझड़ी ,
आए मास फाल्गुन और चैत्र के ,
प्रारंभ हुए दिन बसंत के।
सर्दी अब कम होने लगी है ,
सुहावने मौसम की बारिश शुरू हुई है ,
पेड़ों पर नए पत्ते आते ,
सरसों के पीले फूलों से खेत लहराते।
राग रँग का उत्सव आया ,
ऋतुराज सबके मन को भाया ,
पहाड़ों पर से बर्फ पिघलती ,
सरोवरों में खिली कमल की पंक्ति।
जन्मा कामदेव का पुत्र वसंत ,
भरा प्रकृति में नया रँग ,
नव पल्लव का पालना डालें पेड़ ,
पवन झुलाती उसको तेज।
भगवान कृष्ण ने गीता में बताया ,
ऋतुओं में उनका नाम वसंत में आया
वसंत पंचमी , शिवरात्री , होली पर्व आते ,
वसंत ऋतु में सब उन्हें मिलकर मनाते।