भ्रूण हत्या
भ्रूण हत्या
रूढ़िवादिता को बदल के आज
नयी सोच का करो आगाज
देखि नहीं अब तक जो संसार
करती फरियाद वो चीख पुकार, भ्रूण हत्या क्यूँ करता समाज।।
कोई तो दो उसका दोष बता
कन्या होने की दो ना सजा
माँ बेबस, तू क्यूँ लाचार
क्यूँ हृदय तेरा शूल बना
मुझ पर थोडा तरस तो खा, निर्मम हत्या से मुझको बचा।।
अपने सानिध्य में मुझको ले
वंचित ना, कर अधिकार मेरे
दे मुझको संस्कार तेरे
जन्म दे दुनियां में ला
उद्धार मेरा तू कर दे माँ, मुझको अपनी बिटियाँ बना।।
माँ आत्मीयता का ज्ञान तो कर
नारी मर्यादा का ध्यान तो कर
स्त्री बिना जग चलेगा कैसे
प्रक्रति संतुलन का ध्यान तो कर
मेरा जीवन बचा, उपकार जन्म दे कर दे माँ।।
जीवनधारा मैं, बनूँ समाज
स्नेह से मुझको कर स्वीकार
गौरवान्वित करूंगी, कुल का नाम
यूँ ना कर मेरा तिरस्कार
भ्रूण हत्या सा करो ना पाप, कन्या नहीं कोई अभिशाप।।