भारत देश है मेरा
भारत देश है मेरा
हिमालय शीश है दक्षिण में सिंधु का लगा पहरा,
वही सृष्टि के मस्तक सा वह भारत देश है मेरा।
जहां नदियां भी अपना एक मधुर सा राग गाते हैं,
कहीं गंगा कहीं यमुना सभी ही मुस्कुराती है ।
जहां धरती से अंबर तक दिशाओं का खिला चेहरा,
वही ऋतुओं की रानी सा,
वो भारत देश है मेरा।
जहां वेदों की उज्ज्वल है कथा ऋषियों की वाणी है,
जहां अर्जुन को कहते कृष्ण भी गीता की वाणी है।
जहां हो ज्ञान का सागर अथक आकाश सा गहरा,
वही गुरुओं के चरणों सा ,
वह भारत देश है मेरा।
जहां पर रक्त रंजित है सभी इतिहास की धारा,
जहां बलिदान देकर के किया चारों ओर उजियारा।
जहां राणा शिवाजी का मराठा दुर्ग पर पहरा,
वही वीरों के गौरव सा,
वह भारत देश है मेरा।
जहां गुरुओं की गुरु पुत्रों की पावन चीर बलिदानी,
जहां रण का बजाती शंख है झांसी की मरदानी।
जहां देखा पद्मिनी का शान से चलता हुआ चेहरा,
वही सतियों की गरिमा सा,
वह भारत देश है मेरा।
हिमालय शीश है दक्षिण मैं सिंधु का लगा पहरा,
वही सृष्टि के मस्तक सा वह भारत देश है मेरा।
धन्यवाद