बेवकूफ़ियाँ ..!
बेवकूफ़ियाँ ..!
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करने कुछ जाता करके कुछ आता,
हर बार कुछ नया स्वांग रचाता।
मुझसे जुड़े पीड़ित से लगते,
अक्सर मुझपे क्रुद्ध से दिखते।
मुझ में ये या इससे मैं,
न जाने क्यों होता रहता।
या बेवक़ूफ़ियों से है गहरा मेरा नाता,
हर कार्य में जबरन घुस जाता।
इज़्ज़त मेरी न आती इसको रास,
हर कार्य में विघ्न का करता प्रयास।
कुछ हट के बेवकूफ़ियाँ हैं मुझ में,
कुछ हट के यारियाँ तुझ से हैं मुझ में।
कुछ हट के बेवकूफ़ियाँ हैं मेरी !
कुछ हट के बेवकूफ़ियाँ हैं मेरी !