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Pradeep Kumar Panda

Others

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Pradeep Kumar Panda

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बेटियां तो एहसास होती है

बेटियां तो एहसास होती है

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क्या कहूँ,

वह परियों का रूप होती है,

या कड़कती ठण्ड में

सुहानी धूप होती है।


वह होती है उदासी में

हर मर्ज की दवा की तरह,

या उमस में शीतल

हवा की तरह।


क्या कहूँ,

वह चिड़ियों की

चहचहाहटत है,

या उनकी निश्चिल

खिलख़िलात है I


वह आँगन में

फैला उजाला है,

या हमारे गुस्से पे

लगा ताला है।


क्या कहूँ,

वह पहाड़ की चोट्टी पे

सूरज का किरण है,

या ज़िन्दगी जीने का

सही आचरण है।


बेटी के बिना जीवन की

वर्णमाला अधूरी है,

बेटी जीवन में

सबसे ज्यादा जरूरी है।


है वह ताकत

जो छोटे से घर को

महल कर दे,

वह काफिया जो

किसी गजल को

मुक्कमल कर दे।


यह नहीं कहूंगा की,

वह हर वक़्त साथ साथ होती है,

बेटियां तो एहसास होती है

बेटियां तो एहसास होती है।


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