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Anil Awasthi

Others

3  

Anil Awasthi

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बचपन

बचपन

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तन बचपन का हों ना सके 

मन बचपन सा हो जाए


बच्चो जैसे खेले हम 

बच्चो से हम सो जाए


जीवन का हर पल हो निराला

हर पल को हम जी जाएं


हस लें फिर हम पेट पकड़ कर

कोई चुटकुला हो जाए


देखें सपने सोते जागे 

सपनो में हम खो जाए


आसमान में ढूंढे हाथी-घोड़े

हर पल वो बन मिट जाएं


एक दूसरे के घर को हम 

बिन पूछे फिर चल जाए


बाप के कंधे पर फिर चढ़कर

मेला देखने हम जाए


मन बचपन सा हो जाए।।


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