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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Children Stories

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Children Stories

"बच्चे फूल सरीखे होते"

"बच्चे फूल सरीखे होते"

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बच्चे फूल सरीखे होते,

हम करते बच्चों को प्यार।

नई सीख हम दें बच्चों को,

दें उनको अच्छे संस्कार।।


न डांटे न बच्चों को मारें,

न दें हम बच्चों को फटकार।

गलती यदि बच्चों से हो जाए,

हम समझाएं कर प्यार दुलार।।


बच्चों को ख़ूब पढ़ाएं मन से,

अच्छे कार्य का दें पुरस्कार।

सद्गुण की बात बताएं उनको,

बच्चों से न करें गलत व्यवहार।।


अच्छी आदत हम उन्हें सिखाएं,

बच्चों को बताएं शिष्टाचार।

कविता, गीत, कहानी बच्चों का,

करती सदा ज्ञान विस्तार।।


बच्चे होते सच्चे दिल के,

बच्चों के मन पर न करें प्रहार।

सही दिशा व पथ दिखलाएं,

भविष्य बने सुखी संसार।।


हर समय कहें न पढ़ने को,

बच्चों के दिल की सुनें उदगार।

श्रेष्ठ ज्ञान व शिक्षा हम दें,

उन्हें बताएं महापुरुषों के विचार।।


प्यार की भाषा समझें बच्चे,

करते हैं अनुशासन स्वीकार।

पेश अगर सख्ती से आएं,

बच्चे कर सकते हैं इंकार।।


कभी कभी हम बच्चे बनकर,

खेलें संग उनके जीत व हार।

बच्चों के साथ हम घूमे टहलें,

आदर्श बनें हम पालनहार ।


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