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Phool Singh

Children Stories Horror Classics

4  

Phool Singh

Children Stories Horror Classics

बात को कीजिए

बात को कीजिए

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खामोशियाँ क्यूँ वीरानियाँ है

साथ बिताए कुछ अच्छे पलों को जरा याद कीजिये

कैसे जुटाते मुस्कुराने की हिम्मत 

सब गम/दुख की घड़ी में 

धैर्य/साहस को उनके सलाम कीजिये 

शांत ना रहिए इस ग्रुप में 

थोड़ी सी हलचल,

थोड़ा खुद के होने का आभास दीजिये।


माना काम बहुत सबके जीवन में 

फिर भी कभी थोड़ा वक़्त परिवार के अपने नाम कीजिये 

कल का किसको पता इस जीवन में 

कभी किसी बहाने अपनों से मिलन का आनंद लीजिये 

छल्क उठे सूखे/बिखरे जाम भी 

हर पीढ़ी को एक साथ लाने पर ज़ोर दीजिये  

लेकिन एक दूजे से बात तो कीजिये।


गीले-शिकवे भी बहुत लोगो से,

ना उनका कभी मलाल कीजिये 

अपने है तो लड़ भी लेते 

अनाथ लोगो का जरा ध्यान कीजिये 

गम दिया तो खुशी भी देंगे,


बस अपने फर्ज़ को याद कीजिये 

अहं/घमंड को जगह ना मन में, 

सबको अपने साथ लीजिये 

धन, मान सम्मान तुम्हें सब मिलेगा,

पर एक दूजे से बात तो कीजिये। 


कामयाबी जो मिली जीवन में,

कमजोर भाई-बहन को साथ लीजिये 

रह ना जाये पीछे कभी वो 

थोड़ा उनका भी ख्याल कीजिये 

क्या खुश हुआ ये निष्कलंक दिल कभी

बिन अपनों के बिताए, उन हर घड़ी, हर पल को याद कीजिये 

थोड़ी सी सही पर एक दूजे से कभी बात कीजिये 

खामोश ना यूं थोड़ी सी तो बात कीजिये।


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